अंतरंगता के लिए तड़प रही एक मॉर्मन किशोरी को समलैंगिक दीक्षा मिलती है। वह सह-अन्वेषण के माध्यम से निर्देशित होती है, जिससे एक मन-उड़ाने वाला मौखिक आदान-प्रदान और आपसी आत्म-आनंद होता है। यह एक कच्ची, निर्बाध यात्रा है जो शारीरिक इच्छा की ओर ले जाती है।